UPI New Rules Update
भारत के लोगों के लिए बुरी खबर अगर आप लोग भी यूपीआई चलते हैं। तो आप लोग सतर्क हो जाएं क्योंकि 4 अगस्त से यूपीआई में बदल गया है नियम अब बैंकों के द्वारा वसूला जाएगा चार्ज यानी ट्रांजैक्शन के हिसाब से बैंक आपसे चार्ज लेगा। अगर आप लोग भी यूपीआई चलते हैं तो आप लोग इस आर्टिकल को पढ़ें क्योंकि इस आर्टिकल में पूरी जानकारी दी गई है कैसे आप लोग को ट्रांजैक्शन हिसाब से बैंक पैसे काटते हैं इसके बारे में बताया गया।
UPI New Rules Update
4 अगस्त से बदल गया UpI में नियम।
यूपीआई से भुगतान करने वाले के लिए बहुत ही जरूरी खबर है। रिपोर्ट के अनुसार बताया जा रहा है कि ICICI Bank अब 4 अगस्त 2025 से पेमेंट एग्रीगेटर से UPI ट्रांजैक्शन पर चार्ज वसूलने जा रहा है। इससे पहले येस बैंक (YES Bank) और Axis बैंक भी यह प्रक्रिया शुरू कर चुका है। भले ही ग्राहक यूपीआई का इस्तेमाल फ्री में कर रहे हैं, लेकिन इस कारण का अप्रत्यक्ष असर मर्चेंट्स और प्लेटफार्म फीस पर पड़ सकता है।
बदल गया यूपीआई में नियम 4 अगस्त से।
मनीकॉन्ट्रोल के रिपोर्ट के अनुसार येस बैंक और एक्सिस बैंक के बाद, आइसीआइसीआइ बैंक 4 अगस्त 2025 से यूपीआई लेनदेन के लिए पेमेंट एग्रीगेट से छूट ले सकता है। ICICI Bank के नियम के अनुसार, जिन पेमेंट एग्रीगेटर के पास बैंक में एस्क्रो अकाउंट है, उनसे प्रसिद्ध ट्रांजैक्शन 0.02% चार्ज वसूलेगा। जिसकी अधिकतम सीमा ₹6 होगी। वही जिनका एक्सप्रो अकाउंट आइसीआइसीआइ बैंक में नहीं है, उनसे 0.04% चार्ज दिया जाएगा इसकी अधिकतम सीमा ट्रांजेक्शन ₹10 तक किया गया है।
अगर कोई भी ट्रांजैक्शन सीधे मर्चेंट के आइसीआइसीआइ बैंक अकाउंट में सेटल होता है तो उसे पर कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जाएगा। यानी कि यह चार्ज केवल उन्हें ट्रांजैक्शन पर लागू होगा जो पेमेंट एग्रीगेटर के जरिए प्रक्रिया किया जा रहे हैं। इससे छोटे व्यापारी को राहत मिलेगा जो सीधे बैंक से लिंक होगा।
यूपीआई चलने वाला सभी लोग देखे यहां से।
आइसीआइसीआइ बैंक से पहले यस बैंक और एक्सिस बैंक पिछले कई महीनोसे PA से इस तरह का चार्ज वसूल रहे हैं। यह बैंक अपने खर्चों की भरपाई करने के लिए यूपीआई ट्रांजैक्शन पर फीस लगने की दिशा में पहले ही कदम बढ़ा चुका है। अब आइसीआइसीआइ बैंक भी इसी राह पर चल पड़ा है। अगर आप लोग यूपीआई पहले से फ्री में चला रहे हैं तो अब आप लोग क्योंकि अब आप सभी को ट्रांजैक्शन फिर देना ही पड़ेगा क्योंकि बैंकों के द्वारा हम फैसला लिया गया है।