UPI New Rules: आज 5 अगस्त लागू हुए UPI के नए नियम – ट्रांजैक्शन हुआ और भी आसान ।

UPI New Rules

UPI New Rules: आज 5 अगस्त लागू हुए UPI के नए नियम – ट्रांजैक्शन हुआ और भी आसान ।

5 अगस्त 2025 से यूपीआई (UPI) के नए नियम लागू हो गए हैं, जिनका सीधा असर हर रोज़ होने वाले डिजिटल ट्रांजैक्शन पर पड़ेगा। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने यूपीआई सिस्टम पर बढ़ते लोड को कम करने और सिक्योरिटी व एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ये नए नियम क्या हैं और आपकी रोजमर्रा की लेन-देन पर इनका क्या असर होगा

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बैलेंस चेक लिमिट

अब यूजर एक दिन में अधिकतम 50 बार ही अपने बैलेंस की जांच कर सकते हैं। इसके आगे बैलेंस पूछताछ के लिए सीमित एक्सेस मिलेगा, जिससे सिस्टम पर लोड कम होगा।

अकाउंट लिस्टिंग

किसी भी यूपीआई ऐप से अब एक दिन में सिर्फ 25 बार ही अपने लिंक्ड बैंक खातों की लिस्ट देख सकते हैं।

फेल्ड ट्रांजैक्शन की स्टेटस चेक लिमिट

किसी असफल ट्रांजैक्शन के स्टेटस को आप एक दिन में सिर्फ 3 बार (हर बार कम से कम 90 सेकंड के गैप के साथ) ही देख सकते हैं।

ऑटोपे (AutoPay) ट्रांजैक्शन पर टाइम स्लॉट

अब ऑटोपे के तहत बार-बार होने वाले पेमेंट (जैसे, ईएमआई, सब्सक्रिप्शन आदि) सिर्फ नॉन-पिक टाइम स्लॉट्स में ही प्रोसेस होंगे – सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1-5 बजे तथा रात 9:30 बजे के बाद। इससे पिक टाइम में सिस्टम का लोड कम किया जा सकेगा।

हर पेमेंट के बाद बैलेंस अपडेट

अब हर यूपीआई पेमेंट के बाद यूजर को ऑटोमेटिक बैलेंस अपडेट मिलेगा, जिससे आप अपने खाते की स्थिति तुरंत जान सकते हैं।

एक्टिवेशन और KYC अपडेट

कुछ बैंकों (जैसे PNB) के ग्राहकों को 8 अगस्त तक अपना KYC अपडेट करना अनिवार्य है, वरना अकाउंट बंद या फ्रीज किया जा सकता है।

लेन-देन सीमा और संख्या

रोजाना यूपीआई से सिर्फ 20 ट्रांजैक्शन किए जा सकते हैं, और अधिकतम राशि प्रति दिन ₹1 लाख ही रहेगी।

नए नियम क्यों लागू हुए?

बढ़ते ट्रांजैक्शन और सिस्टम लोड की वजह से कई बार यूपीआई सर्विस स्लो या बंद हो जाती थी।

सीमाएं तय करने से स्पैम, धोखाधड़ी और टेक्निकल लोड पर नियंत्रण रहेगा, जिससे पेमेंट और ट्रांजैक्शन स्मूथ होंगे।

ग्राहकों की सुरक्षा के लिए केवाईसी और रिसीवर की जानकारी को मजबूत किया गया है।

आपके लिए क्या महत्व है?

बार-बार बैलेंस चेक या अकाउंट लिस्टिंग पर अब लिमिट है, तो यूजर को जरूरत के हिसाब से ही ये ऑप्शन इस्तेमाल करने होंगे।

पेमेंट फेल होने पर बार-बार तुरंत चेक करने की बजाय आसानी से इंतजार करना जरूरी है।

सब्सक्रिप्शन या ऑटोपे का समय बदल सकता है, ऐसे में बिलिंग टाइम ध्यान में रखें।

हर बार पेमेंट के बाद बैलेंस अपडेट मिलना अधिक पारदर्शिता लाएगा।

KYC अपडेट न करने वाले यूजर्स के अकाउंट पर कार्यवाही हो सकती है।

निष्कर्ष

नए यूपीआई नियम डिजिटल पेमेंट को और ज्यादा सुरक्षित, तेज और व्यवस्थित बनाते हैं। अब उपयोगकर्ताओं को नियमों की जानकारी रखना एवं सावधानी से ट्रांजैक्शन करना पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है।

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